Buxipur book market Gorakhpur: गोरखपुर में पाठ्य पुस्तकों की सबसे बड़ी मार्केट बख्शीपुर है। यहां चित्रगुप्त मंदिर से शुरू होकर बख्शीपुर चौराहे तक किताबों की दुकानों की सबसे बड़ी शृंखला है। प्राथमिक कक्षाओं से लेकर परास्नातक स्तर की किताबें हों या फिर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पुस्तकें, यहां सब मिलेंगी। यहां के कुछ पुराने स्थानीय दुकानदार बताते हैं कि गोरखपुर नगर का सबसे पहला स्कूल राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज हो या फिर महात्मा गांधी इंटर कॉलेज, अयोध्या दास राजकीय कन्या इंटर कॉलेज, मिया साहब इस्लामियां इंटर कॉलेज, डीएवी इंटर कॉलेज सहित लगभग सभी पुराने स्कूल बख्शीपुर के आसपास ही स्थित हैं। यही वजह है कि समय के यह मार्केट किताबों के लिए विख्यात होती गई। यहां देश के लगभग सभी प्रकाशनों की किताबें एक समय में मिल जाया करती थीं। अब बदले जमाने में सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाओं और यूपी, सीबीएसई बोर्ड की किताबें प्रमुखता से मिल रही हैं। बख्शीपुर मार्केट की किताबों वाली पहचान गोरखपुर ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों में भी है। यहां कुछ दुकानें इतनी पुरानी हैं कि उनके नाम शहर के नये पुराने लगभग सभी लोगों को पता हैं।
बख्शीपुर मार्केट में किताबों की खरीदारी किफायती भी है। यहां पुस्तकों की खरीदारी करने वाले लोगों के अनुभव के आधार पर यह माना जा सकता है कि दुकानदार एमआरपी से कम दाम पर किताबें उपलब्ध कराते हैं। हां, कुछ किताबों के मामले में ऐसा नहीं हो पाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की हर तरह की किताबें यहां उपलब्ध होने के चलते स्टूडेंट, अभिभावक अक्सर बख्शीपुर का रुख करते हैं। आज के दौर में, जब अमेजन फ्लिपकार्ट जैसे आनलाइन बुक परचेजिंग जैसी सेवाएं हैं, तब भी बख्शीपुर बुक मार्केट में लोगों की भीड़ कम नहीं हुई है। इसकी सबसे बड़ी वजह पुस्तकों की उपलब्धता और दुकानदारों का छात्रों के प्रति सहयोग वाला रवैया। मान लें कि अगर कोई किताब दुकान में उपलब्ध नहीं है, तो विक्रेता उसे मंगाने और छात्र को सूचित करने तक की जिम्मेदारी उठा लेते हैं। ये सुविधाएं आनलाइन में मिल सकती हैं, लेकिन ग्राहकों का भरोसा यहां की दुकानों पर ज्यादा है।गोरखपुर की इस बुक मार्केट के कद्रदान बहुतेरे हैं। दिल्ली में फुटपाथों पर थोक के भाव बिकने वाली किताबों के खरीदार भी एक बार गोरखपुर के बख्शीपुर बुक मार्केट के फैन हैं, क्योंकि किताबों की इस गली की सुगंध हमेशा के लिए जेहन में बस जाती है। इस मार्केट में आकर अपने कॉलेज के दिनों की यादें भी ताजा होने लगती हैं। यार—दोस्त अपने पढ़ाई के दिनों वाली किताबों की इन दुकानों में आकर खुशी महसूस करते हैं। जुबिली इंटर कॉलेज से साल 1998 में इंटर पास करने वाले अभिषेक इस समय पुणे में रहते हैं। साल में एक बार गोरखपुर आना होता है। संयोग कि उनका घर भी पास के मुहल्ले पुर्दिलपुर है। अभिषेक कहते हैं कि गर्मी की शामों में हम दोस्त पैदल ही मुहल्ले की गलियों से निकलते थे और देर तक बख्शीपुर की सड़कों पर गश्त करते थे। अगर पास में पैसे रहे तो लस्सी पी जाती थी। वह समय अब भी बहुत याद आता है। कॉलेज का टाइम और किताबों की महक अब तक दिल में बसी हुई है।

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