• महात्मा गांधी इंटर कॉलेज, गोरखपुर की स्थापना 1909 में हुई। यह संस्था शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर है, जिसने कई प्रतिभाशाली छात्रों को जन्म दिया। जानें इसका गौरवशाली इतिहास, प्रबंधन और शैक्षणिक उपलब्धियों के बारे में।



Mahatma Gandhi Intermediate College: 20वीं शताब्दी के आरंभ में, गुरु गोरक्षनाथ की पावन भूमि गोरखपुर पर कुछ बुद्धिजीवियों के मन में एक शिक्षण एवं आवासीय संस्थान स्थापित करने का स्वप्न जन्मा। इनमें हमारे दूरदर्शी अधिवक्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फलस्वरूप, 6 जनवरी, 1909 को गोरखपुर हाई स्कूल सोसाइटी के रूप में इसकी स्थापना हुई, जो बाद में महात्मा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज बना।


1911 में, स्कूल सोसाइटी का पंजीकरण हुआ और राय बहादुर राम गरीब लाल जैसे सम्मानित नागरिक ने लगभग 15 एकड़ भूमि दान में दी। 1913 में, तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जे. होप्स सिम्पसन ने विद्यालय की मुख्य इमारत की नींव रखी। 1948 में, गोरखपुर हाई स्कूल और सोसाइटी का नाम बदलकर क्रमशः महात्मा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज और नेशनल एजुकेशनल सोसाइटी, गोरखपुर कर दिया गया।


यह कॉलेज पुरातन वास्तुकला में निर्मित एक सुसज्जित परिसर में स्थित है। वर्तमान में, यहाँ 7,000 से अधिक छात्र-छात्राएँ (हिंदी एवं अंग्रेजी माध्यम, यूपी बोर्ड) अध्ययनरत हैं, जो उत्तर प्रदेश के विभिन्न कोनों तथा विदेशों से आकर गणित, जीव विज्ञान, वाणिज्य एवं कंप्यूटर जैसे विषयों में शिक्षा प्राप्त करते हैं।


इस कॉलेज ने अनेक विद्वानों को जन्म दिया है, जो देश की सेवा में संलग्न हैं। साथ ही, यूपी बोर्ड परीक्षाओं में यहाँ के छात्रों ने उच्च स्थान प्राप्त किए हैं। 1992 में, एम. पुनीत त्रिपाठी ने यूपी बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर कॉलेज का नाम रोशन किया।


संस्थापकों, पूर्व प्रबंधन समितियों एवं तत्कालीन प्राचार्यों ने कॉलेज के उत्थान में कोई कसर नहीं छोड़ी। राय बहादुर राम नारायण लाल (प्रबंधक, 1946-1960) और प्राचार्य कुँवर बहादुर, तथा प्रकाश नारायण श्रीवास्तव (प्रबंधक, 1972-1992) और प्राचार्य कृष्ण बिहारी लाल श्रीवास्तव के कार्यकाल को संस्था के स्वर्णिम युग के रूप में याद किया जाता है।


1992-2000 तक श्री शोभित नारायण श्रीवास्तव ने प्रबंधक के रूप में संस्था की प्रगति में योगदान दिया। वर्ष 2000 से, हमारे दूरदर्शी प्रबंधक श्री मानकेश्वर नाथ पांडेय ने प्राचार्य डॉ. राधेश्याम सिंह (26 जून 1998 - 9 मार्च 2016) और वर्तमान प्राचार्य श्री ओम प्रकाश सिंह के साथ मिलकर संस्था को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने का निरंतर प्रयास किया है।


महात्मा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज का इतिहास गौरव, समर्पण और शैक्षणिक उत्कृष्टता से भरा हुआ है। यह संस्था न केवल शिक्षा का केंद्र बल्कि राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले नागरिकों का निर्माण करने वाली एक ज्ञान की अलौकिक धरोहर है।



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